मध्यकालीन भारतीय इतिहास के अंतर्गत धार्मिक आन्दोलनों को मुख्यत: सूफी आन्दोलन और भक्ति आन्दोलन में बांटा गया है। इस पोस्ट में सूफी आन्दोलन और भक्ति आन्दोलन के बारे में बताया गया है।
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धार्मिक आन्दोलन – सूफी आन्दोलन, भक्ति आन्दोलन
सूफी आन्दोलन
9वी सदी में बसरा (ईराक) में सूफी मत का आरंभ हुआ। सूफी दर्शन एकेश्वरवाद में विश्वास करता था। यह एक प्रकार का रहस्यवादी दर्शन था।
शेख अली हुजविरी (गजनवी) भारत में पहले सूफी संत थे। जिनसे भारत में सूफी आन्दोलन की शुरुआत हुई। राबिया पहली महिला सूफी संत थी।
अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती, दिल्ली के शेख निजामुद्दीन औलिया और नासिरुद्दीन,फतेहपुर सीकरी के शेख सलीम चिश्ती तथा फरीदुदरीन गंजशकर प्रसिद्ध सूफी सन्त थे।
सूफी सम्प्रदाय एवं उनके संस्थापक
सम्प्रदाय | संस्थापक | भारत में प्रचारक |
---|---|---|
चिश्ती | अबू अब्दाल चिश्ती | ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती |
सुहारावर्दी | शेख शिहाबुद्दीन उमा सुहरावर्दी | बहाउद्दीन जकारिया |
कादिरी | अब्दुल कादिर | शाह नियामतुल्ला |
नक्शबन्दी | ख्वाजा बाकी बिल्लाह | मखदूम जिलानी |
शत्तारिया | अब्दुल शत्तार |
भक्ति आन्दोलन
हिन्दू धर्म व समाज सुधार के लिए मध्यकाल में भक्ति आन्दोलन का उदय हुआ। छठी शताब्दी में भक्ति आन्दोलन का आरंभ दक्षिण में तमिल क्षेत्र में हुआ, जो कर्नाटक और महाराष्ट्र में फैल गया।
भक्ति आन्दोलन का विकास 12 अलवार वैष्णव संतों तथा 63 नयनार शैव संतों ने किया।
भक्ति आन्दोलन दक्षिण भारत से उत्तर भारत में रामानन्द के द्वारा लाया गया।
उत्तर में कबीर और रामानन्द , दक्षिण में रामानुज, महाराष्ट्र में नामदेव, बंगाल में चैतन्य एवं पंजाब में गुरुनानक भक्ति आन्दोलन के प्रमुख सन्त थे। कबीर की शिक्षाएँ बीजक में संग्रहित हैं।
भक्ति आन्दोलन की विशेषताएं
- एकेश्वरवाद
- वाह्य आडंबरों का विरोध
- वर्ण व्यवस्था का विरोध
- मानव सेवा पर बल
- स्थानीय भाषाओं में उपदेश
- गुरु के महत्व में वृद्धी
- आस्था और भक्ति पर बल
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