इस पोस्ट में मध्यकालीन भारतीय इतिहास के अंतर्गत उत्तरवर्ती राजवंश – विजयनगर साम्राज्य, बहमनी राज्य और स्वतन्त्र प्रान्तीय राज्य (बंगाल, मेवाड़ और जौनपुर) के बारे में बताया गया है।
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विजयनगर साम्राज्य, बहमनी राज्य और स्वतन्त्र प्रान्तीय राज्य
विजयनगर साम्राज्य (1336 – 1650 ई.)
दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ई. में हरिहर एवं बुक्का ने की। माधव विद्यारण्य, हरिहर एवं बुक्का के गुरु थे। विजयनगर साम्राज्य में निम्नलिखित चार वंश थे।
- संगम वंश Sangam Dynasty
- सालुव वंश Saluv Dynasty
- तुलुव वंश Tuluv Dynasty
- अरावीडू वंश Aravidu Dynasty
हरिहर एवं बुक्का ने अपने पिता संगम के नाम पर संगम राजवंश की स्थापना की।
विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी और राजभाषा तेलगू थी।
देवराय प्रथम के समय इटली का यात्री निकोलो कोटी 1420 ई. में विजयनगर आया।
देवराय द्वितीय के समय अब्दुल रज्जाक विजयनगर आया था ।
इस साम्राज्य का महान् शासक कृष्णदेव राय एक कुशल योद्धा एवं विद्वान् था। उसके शासनकाल में पुर्तगाली यात्री डोमिगोस पायस आया था।
कृष्णदेव राय ने तेलुगू भाषा में अमुक्तमाल्यद एवं संस्कृत जाम्बवती कल्याणम् एवं उषा परिणय की रचना की ।
बनीहट्टी के नजदीक तालीकोटा (रक्षसी तंगड़ी) के प्रसिद्ध युद्ध (1565 ई.) में विजयनगर का शासक रामराय पराजित हुआ। इसी के साथ दक्षिण में हिन्दू सर्वोच्चता का अन्त हो गाया ।
विजयनगर साम्राज्य के खंडहर तुंगभद्रा नदी पर स्थित हैं।
बहमनी राज्य (1347-1518 ई.)
मुहम्मद तुगलक के शासनकाल में हसन गंगू / अलाउद्दीन हसन / बहमन शाह ने बहमनी साम्राज्य की स्थापना की थी, उसकी राजधानी गुलबर्गा एवं राजभाषा मराठी थी।
अलाउद्दीन हसन के बाद उसका पुत्र मुहम्मद शाह प्रथम सुल्तान बना। चौल और दभोल इस समय के प्रमुख बन्दरगाह थे।
महमूद गवाँ एक फारसी था, जो लगभग 25 वर्षों तक बहमनी साम्राज्य में मन्त्री रहा ।
बहमनी शासक हुमायूँ को दक्कन का नीरो कहा जाता था। 1417 ई. में मुहम्मद तृतीय के शासनकाल में रूसी यात्री निकितन बहमनी साम्राज्य की यात्रा पर आया था। महमूद गवाँ की हत्या के बाद बहमनी पाँच छोटे-छोटे राज्यों बीदर, अहमदनगर,बीजापुर, गोलकुण्डा तथा बरार में विभाजित हो गया।
राज्य | राजवंश | संस्थापक |
---|---|---|
अहमदनगर | निजामशाही | मलिक अहमद |
बीजापुर | आदिलशाही | युसुफ आदिल शाह |
गोलकुण्डा | कुतुबशाही | कुली कुतुबशाह |
बीदर | बरीदशाही | अमीर अली बरीद |
बरार | इमादशाही | फतेहउल्ला इमादशाह |
बरार के अलावा अन्य चार राज्यों ने मिलकर तालीकोटा के युद्ध में विजयनगर साम्राज्य को नष्ट कर दिया।
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बंगाल Bengal
बख्तियार खिलजी ने बंगाल को दिल्ली सल्तनत में मिलाया था। मोहम्मद बिन तुगलक के काल में 1338 में बंगाल को एक स्वतंत्र राज्य मुबारक शाह ने बनाया।
सिकंदर शाह ने अदीना मस्जिद का निर्माण कराया। जलालुद्दीन के शासनकाल में कृतिवास ने बांग्ला में रामायण का अनुवाद किया।
बाबर के आक्रमण के समय बंगाल का शासक नुसरत शाह था। नुसरत शाह की चर्चा तुजुक ए बाबरी में की गई है।
जौनपुर Jaunpur
जौनपुर की स्थापना फिरोजशाह तुगलक ने अपने भाई जूना खााँ या मुहम्मद बिन तुगलक की स्मृति में की थी। जौनपुर में स्वतंत्र शर्क़ी राजवंश की स्थापना मलिक सरवर ख्वाजा जहान ने की थी। जौनपुर के अन्य प्रमुख शासक निम्नलिखित थे।
- मुबारकशाह (1399-1402 ई.)
- शमसुद्दीन इब्राहिमशाह (1402-1436 ई.)
- महमूद शाह (1436-1451ई.)
- हुसैनशाह (1458-1500 ई.) – अंतिम शासक
इब्राहिम शाह के समय जौनपुर में साहित्य और स्थापत्य कला के तिकास के कारण जौनपुर को भारत का शिराज कहा जाता था।
लगभग 75 वर्ष तक स्वतंत्र रहने के बाद जौनपुर पर बहलोल लोदी ने कब्जा कर लिया था।
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मेवाड़ Mevaad
अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 ई. में मेवाड़ के गुहलौत राजवंश के रत्नसिंह को पराजित कर मेवाड़ को दिल्ली सल्तनत में मिलाया था।
गुहलौत वंश की एक शाखा सिसोदिया वंश के हम्मीरदेव ने मुहम्मद तुगलक को हराकर पूरे मेवाड़ को स्वतंत्र कराया।
1448 ई. में राणा कुम्भा ने चित्तौड़ में विजय स्तम्भ बनाया। 1517-18 ई. में घटोली के युद्ध में राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराया था ।
खानवा का युद्ध 1527 ई. में राणा सांगा एवं बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर विजयी हुआ ।
हल्दीघाटी का युद्ध 1576 ई. में राणा प्रताप एवं अकबर के बीच हुआ, जिसमें अकबर विजयी हुआ ।
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