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Festivals, Traditional Art & Crafts of India – EVS

India is well known as a country of cultural and traditional festivals as it has many cultures and religions. India is also well known for its Traditional Art and Crafts. Specific festivals, traditional crafts and art of specific region in India are given below:

Festivals of specific region in India

FestivalRegionTime of Celebration
OnamKeralaAug – Sep
Ganesh ChaturthiMaharashtraBhadrapad Shukl Chaturdashi
Rath YatraOdishaAshadha Shukla Pakshadwitya
BaishakhiPunjab 13-14 Apr
Pongal, JallikattuTamil Nadu14 Jan
Durga PujaWest Bengal6th Day of Aswin Shukla
BihuAsomIn the month of Bohag Kaati and Magh
ChhathBiharKartik Shukla Shasthi
LosarSikkim and Arunachal PradeshFirst Lunar month
Ugadi/Gudi PadwaAndhra Pradesh1st day of Chaitra month
GangaurRajasthanChaitra Shukla

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Traditional Crafts of India

Traditional CraftsAreas/States
Warli PaintingMaharashtra
Chikan EmbroideryLucknow
PerfumesKannauj
Brass HandicraftsMoradabad
Jamdani TextileWest Bengal
Patola EmbroideryGujarat
Pashmina ShawlsJammu and Kashmir (Ladakh)
Bandana WeaveRajasthan and Gujarat
PochampallyAndhra Pradesh
Wood CarvingSaharanpur
Pithora PaintingMadhya Pradesh

Traditional Art in India

Traditional ArtRegion/State
JamdaniWest bengal
Pashmina and ShahtootJammu and Kashmir
PatolaGujarat
Bandana DesignRajasthan and Gujarat
ChikankariLucknow
Muga SilkAsom
PochampallyAndhra Pradesh
Perfume IndustryKannauj
ShawlKullu, Himachal Pradesh
EmbroideryJammu and Kashmir

Different Types of Painting in India

1. Chitra Kathi Painting
  • This painting belongs to Maharashtra.
  • Story is depicted through this painting.
  • Only natural color is used in this painting.
2. Kalamkari Painting
  • This painting belongs to Andhra Pradesh.
  • This painting is done on clothes.
  • Only natural color is used in this painting.
3. Madhubani Painting
  • This painting belongs to Bihar.
  • Natural things like animals, birds, humans, flowers are depicted in this painting.
  • Only natural color is used in this painting.
  • A special kind of paste of grinded rice is used to glorify the painting.
4. Pata Painting
  • This painting belongs to Odisha.
  • Natural color from minerals and vegetables are used in this painting.
  • This painting is done on clothes.
5. Phad Painting
  • This painting belongs to Rajasthan.
  • This painting is done on clothes.

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विश्व पर्यावास दिवस (World Habitat Day in Hindi)

विश्व पर्यावास दिवस (World Habitat Day) दुनिया भर में हर साल अक्टूबर महीने के प्रथम सोमवार को मनाया जाता है। विश्व पर्यावास दिवस 1985 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प 40/202 के माध्यम से अक्टूबर में प्रथम सोमवार को प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यावास दिवस को मनाने की  घोषणा की थी।

World Habitat Day
World Habitat Day Image Source – UN Habitat

विश्व पर्यावास दिवस का उद्देश्य हमारे कस्बों और शहरों की स्थिति और सभी को पर्याप्त आश्रय के मूल अधिकार पर प्रतिबिंबित करना है। यह भी दुनिया को याद दिलाना है कि हम सभी के पास अपने शहरों और कस्बों के भविष्य को आकार देने की शक्ति और जिम्मेदारी है।इसके अलावा गरीबी को समाप्त करने और उसमेंसुधार करने के लिए जमीनी स्तर पर कार्रवाई के लिए प्रोत्साहित करना है। विश्व पर्यावास दिवस लोगों को एक बेहतर जीवन के लिए उचित सुरक्षा प्राप्त करने के लिए आवश्यक सभी जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

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विश्व पर्यावास दिवस २०१९ (World Habitat Day 2019)

संयुक्त राष्ट्र-हैबिटेट संयुक्त राष्ट्र में कोर्डिनेटिंग एजेंसी है जो विश्व पर्यावासदिवस को आयोजित करने के लिए मेजबान शहर के साथ मिलकर काम करती है।इस वर्ष की थीम “फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज, अपशिष्ट पदार्थ को संपत्ति में बदलने के लिए एक अभिनव उपकरण के रूप में” है।  विश्व पर्यावास दिवस 2019 की मेजबानी इस वर्ष 7 अक्टूबर को मैक्सिको सिटी में मेक्सिको सरकार द्वारा की जाएगी। विश्व पर्यावास दिवस 2019 की थीम “फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज, अपशिष्ट पदार्थ को संपत्ति में बदलने के लिए एक अभिनव उपकरण के रूप में” है । 

संयुक्त राष्ट्र-हैबिटेट, इस वर्ष सतत विकास लक्ष्य 11: समावेशी, सुरक्षित, लचीला और स्थायी शहरों को प्राप्त करने के लिए स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नवीन फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज के योगदान को बढ़ावा दे रहा है। ठोस कचरे से परे जाकर इसमें मानव गतिविधि (ठोस, तरल, घरेलू, औद्योगिक और वाणिज्यिक) द्वारा उत्पादित सभी अपशिष्ट शामिल हैं, जिसका जलवायु परिवर्तन, सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव जारी है।

वर्ल्ड इकोनॉमिक एंड सोशल सर्वे 2018 के अनुसार, फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज लोगों के काम करने और रहने के साथ-साथ सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने और जलवायु परिवर्तन को दूर करने के प्रयासों में तेजी लाने के लिए काफी संभावनाएं रखती हैं।

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फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज, जैसे स्वचालन, रोबोटिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ, जैव-प्रौद्योगिकियाँ और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, संभवतः सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय क्षेत्रों को बदल सकती हैं। वे अपशिष्ट प्रबंधन सहित हर दिन की समस्याओं के समाधान के लिए बेहतर, सस्ता, तेज, स्केलेबल और आसान का उपयोग करने की क्षमता प्रदान करते हैं। वे विकासशील देशों के लिए कम कुशल तकनीकों की ओर छलांग लगाने और सामाजिक नवाचारों को लागू करने के अवसर भी प्रस्तुत करते हैं। इन संभावनाओं के अनुरूप, न्यू अर्बन एजेंडा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए कहता है जो दुनिया में वर्तमान और भविष्य के शहरी क्षेत्रों के विकास को प्रभावित करेगा।

विश्व पर्यावास दिवस का इतिहास World Habitat Day Background / History

पहली बार यह दिवस वर्ष 1986 में आयोजित किया गया था, उस वर्ष इस दिवस का मूल मोटो “आवास मेरा अधिकार है” था। इस आयोजन का स्थल नैरोबी शहर था। इसके अलावा इस आयोजन के विभिन्न वर्षों में निम्नलिखित मोटो रहे हैं:

  • फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज, अपशिष्ट पदार्थ को संपत्ति में बदलने के लिए एक अभिनव उपकरण के रूप में (2019)
  • नगर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (2018)
  • आवास नीतियां: सस्ते घर (2017)
  • सभी के लिए सार्वजनिक स्थान (2015)
  • बदलते शहर, निर्माण के अवसर (2012)
  • शहर और जलवायु परिवर्तन (2011)
  • बेहतर शहर, बेहतर जीवन (2010)
  • हमारे शहरी भविष्य की योजना (2009)
  • शहरों के बिना मलिन बस्तियों (2003)
  • शहरों के लिए पानी और स्वच्छता (2001)
  • शहरी शासन में महिला (2000)
  • सुरक्षित शहर (1998)
  • भविष्य के शहर (1997)
  • हमारा पड़ोस (1995)
  • बेघर के लिए आश्रय (1987)

विश्व पर्यावास दिवस का आयोजन विश्व के कई देशों में किया जाता है, जैसे भारत, चीन, पोलैंड, मेक्सिको, युगांडा, अंगोला और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे कई देशों में इसे मनाया जाता है। दुनिया भर में इसका आयोजन किया जाता है, ताकि विश्व भर में तीव्र नगरीकरण के बढ़ते हुए कारण और उनका वातावरण पर प्रभाव और गरीवी निवारण में उनकी भूमिका का पता लग सके।

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पर्यावास स्क्रॉल ऑफ ऑनर

पर्यावास स्क्रॉल ऑफ ऑनर पुरस्कार संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित ह्यूमन सेटलमेंट प्रोग्राम (UNHSP) के तहत वर्ष 1989 से दिया जा रहा है यह पुरस्कार मानव पर्यावास की दिशा में किए जानेवाले उल्लेखनीय योगदान हेतु दिया जाता है।यह पुरस्कार अति-महत्वपूर्ण पुरस्कारों की सूची में शामिल है। प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा कई विषयों का चुनाव किया जाता है। चुने गए विषय वस्तुतः पर्यावास के लिए महत्वपूर्ण तथ्य होते हैं और उसके विकास में अत्यंत जरुरी होते हैं। इन विषयों के चुनाव के पीछे मूल उद्देश्य विश्व भर में लोगो को पर्यावास उपलब्ध कराना और उनका बेहतर विकास करना होता है और सतत विकास की नीतियों को बढ़ावा देना होता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावास मिशन के अन्तरगत विविध तथ्य समाहित होते हैं, जैसे-

  • सभी के लिए सुरक्षित और स्वस्थ रहने वाले पर्यावरण का विकास विशेष रूप से बच्चों के लिए
  • पर्याप्त और टिकाऊ परिवहन और ऊर्जा
  • शहरी क्षेत्रों में हरियाली की स्थापना और पौधरोपण की व्यवस्था
  • शुद्ध और सुरक्षित पीने के पानी के साथ ही स्वच्छता
  • सांस लेने के लिए ताजा और प्रदूषणरहित हवा
  • लोगों के लिए पर्याप्त रोजगार के अवसर
  • झुग्गी में रहने वाले लोगो में सुधार और शहरी योजना में वृद्धि
  • अपशिष्ट पदार्थ की पुनरावृत्ति सहित बेहतर कचरा प्रबंधन

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वीरांगना झलकारी बाई (Jhalkari Bai)

झलकारी बाई (२२ नवंबर १८३० - ४ अप्रैल १८५८)
झलकारी बाई (२२ नवंबर १८३० – ४ अप्रैल १८५८)

वीरांगना झलकारी बाई (Jhalkari Bai) (२२ नवंबर १८३० – ४ अप्रैल १८५८) झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में, महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति थीं।वे लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थीं इस कारण शत्रु को धोखा देने के लिए वे रानी के वेश में भी युद्ध करती थीं। अपने अंतिम समय में भी वे रानी के वेश में युद्ध करते हुए वे अंग्रेज़ों के हाथों पकड़ी गयीं और रानी को किले से भाग निकलने का अवसर मिल गया। उन्होंने प्रथम स्वाधीनता संग्राम में झाँसी की रानी के साथ ब्रिटिश सेना के विरुद्ध अद्भुत वीरता से लड़ते हुए ब्रिटिश सेना के कई हमलों को विफल किया था। यदि लक्ष्मीबाई के सेनानायकों में से एक ने उनके साथ विश्वासघात न किया होता तो झांसी का किला ब्रिटिश सेना के लिए प्राय: अभेद्य था।

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झलकारी बाई का इतिहास (Jhalkari Bai History)

वीरांगना झलकारी बाई की गाथा आज भी बुंदेलखंड की लोकगाथाओं और लोकगीतों में सुनी जा सकती है। भारत सरकार ने २२ जुलाई २००१ में झलकारी बाई के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया है, उनकी प्रतिमा और एक स्मारक अजमेर, राजस्थान में निर्माणाधीन है, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उनकी एक प्रतिमा आगरा में स्थापित की गयी है, साथ ही उनके नाम से लखनऊ मे एक धर्मार्थ चिकित्सालय भी शुरु किया गया है।

झलकारी बाई का बचपन Jhalkari bai childhood

झलकारी बाई का जन्म 22 नवम्बर 1830 को झांसी के पास के भोजला गाँव में एक निर्धन कोली परिवार में हुआ था। झलकारी बाई के पिता का नाम सदोवर सिंह और माता का नाम जमुना देवी था। जब झलकारी बाई बहुत छोटी थीं तब उनकी माँ की मृत्यु के हो गयी थी और उसके पिता ने उन्हें एक लड़के की तरह पाला था। उन्हें घुड़सवारी और हथियारों का प्रयोग करने में प्रशिक्षित किया गया था। उन दिनों की सामाजिक परिस्थितियों के कारण उन्हें कोई औपचारिक शिक्षा तो प्राप्त नहीं हो पाई, लेकिन उन्होनें खुद को एक अच्छे योद्धा के रूप में विकसित किया था।

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झलकारी बचपन से ही बहुत साहसी और दृढ़ प्रतिज्ञ बालिका थी। झलकारी घर के काम के अलावा पशुओं के रखरखाव और जंगल से लकड़ी इकट्ठा करने का काम भी करती थी। एक बार जंगल में उसकी मुठभेड़ एक तेंदुए के साथ हो गयी थी और झलकारी ने अपनी कुल्हाड़ी से उस जानवर को मार डाला था। एक अन्य अवसर पर जब डकैतों के एक गिरोह ने गाँव के एक व्यवसायी पर हमला किया तब झलकारी ने अपनी बहादुरी से उन्हें पीछे हटने को मजबूर कर दिया था।उसकी इस बहादुरी से खुश होकर गाँव वालों ने उसका विवाह रानी लक्ष्मीबाई की सेना के एक सैनिक पूरन कोरी से करवा दिया, पूरन भी बहुत बहादुर था और पूरी सेना उसकी बहादुरी का लोहा मानती थी।

एक बार गौरी पूजा के अवसर पर झलकारी गाँव की अन्य महिलाओं के साथ महारानी को सम्मान देने झाँसी के किले मे गयीं, वहाँ रानी लक्ष्मीबाई उन्हें देख कर अवाक रह गयी क्योंकि झलकारी बिल्कुल रानी लक्ष्मीबाई की तरह दिखतीं थीं (दोनो के रूप में आलौकिक समानता थी)। अन्य औरतों से झलकारी की बहादुरी के किस्से सुनकर रानी लक्ष्मीबाई बहुत प्रभावित हुईं। रानी ने झलकारी को दुर्गा सेना में शामिल करने का आदेश दिया। झलकारी ने यहाँ अन्य महिलाओं के साथ बंदूक चलाना, तोप चलाना और तलवारबाजी की प्रशिक्षण लिया। यह वह समय था जब झांसी की सेना को किसी भी ब्रिटिश दुस्साहस का सामना करने के लिए मजबूत बनाया जा रहा था।

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लार्ड डलहौजी की राज्य हड़पने की नीति के चलते, ब्रिटिशों ने निःसंतान लक्ष्मीबाई को उनका उत्तराधिकारी गोद लेने की अनुमति नहीं दी, क्योंकि वे ऐसा करके राज्य को अपने नियंत्रण में लाना चाहते थे। हालांकि, ब्रिटिश की इस कार्रवाई के विरोध में रानी के सारी सेना, उसके सेनानायक और झांसी के लोग रानी के साथ लामबंद हो गये और उन्होने आत्मसमर्पण करने के बजाय ब्रिटिशों के खिलाफ हथियार उठाने का संकल्प लिया।

अप्रैल १८५८ के दौरान, लक्ष्मीबाई ने झांसी के किले के भीतर से, अपनी सेना का नेतृत्व किया और ब्रिटिश और उनके स्थानीय सहयोगियों द्वारा किये कई हमलों को नाकाम कर दिया। रानी के सेनानायकों में से एक दूल्हेराव ने उसे धोखा दिया और किले का एक संरक्षित द्वार ब्रिटिश सेना के लिए खोल दिया। जब किले का पतन निश्चित हो गया तो रानी के सेनापतियों और झलकारी बाई ने उन्हें कुछ सैनिकों के साथ किला छोड़कर भागने की सलाह दी। रानी अपने घोड़े पर बैठ अपने कुछ विश्वस्त सैनिकों के साथ झांसी से दूर निकल गईं।

झलकारी बाई की मृत्यु Jhalkari Bai Death

झलकारी बाई का पति पूरन किले की रक्षा करते हुए शहीद हो गया लेकिन झलकारी ने बजाय अपने पति की मृत्यु का शोक मनाने के, ब्रिटिशों को धोखा देने की एक योजना बनाई। झलकारी ने लक्ष्मीबाई की तरह कपड़े पहने और झांसी की सेना की कमान अपने हाथ में ले ली। जिसके बाद वह किले के बाहर निकल ब्रिटिश जनरल ह्यूग रोज़ के शिविर मे उससे मिलने पहँची। ब्रिटिश शिविर में पहुँचने पर उसने चिल्लाकर कहा कि वो जनरल ह्यूग रोज़ से मिलना चाहती है। रोज़ और उसके सैनिक प्रसन्न थे कि न सिर्फ उन्होने झांसी पर कब्जा कर लिया है बल्कि जीवित रानी भी उनके कब्ज़े में है।

जनरल ह्यूग रोज़ जो उसे रानी ही समझ रहा था, ने झलकारी बाई से पूछा कि उसके साथ क्या किया जाना चाहिए? तो उसने दृढ़ता के साथ कहा,मुझे फाँसी दो। जनरल ह्यूग रोज़ झलकारी का साहस और उसकी नेतृत्व क्षमता से बहुत प्रभावित हुआ और झलकारी बाई को रिहा कर दिया गया। इसके विपरीत कुछ इतिहासकार मानते हैं कि झलकारी इस युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुई। एक बुंदेलखंड किंवदंती है कि झलकारी के इस उत्तर से जनरल ह्यूग रोज़ दंग रह गया और उसने कहा कि “यदि भारत की १% महिलायें भी उसके जैसी हो जायें तो ब्रिटिशों को जल्दी ही भारत छोड़ना होगा”।

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मुख्यधारा के इतिहासकारों द्वारा, झलकारी बाई के योगदान को बहुत विस्तार नहीं दिया गया है, लेकिन आधुनिक स्थानीय लेखकों ने उन्हें गुमनामी से उभारा है। अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल (२१-१०-१९९३ से १६-०५-१९९९ तक) और श्री माता प्रसाद ने झलकारी बाई की जीवनी की रचना की है। इसके अलावा चोखेलाल वर्मा ने उनके जीवन पर एक वृहद काव्य लिखा है, मोहनदास नैमिशराय ने उनकी जीवनी को पुस्तकाकार दिया है और भवानी शंकर विशारद ने उनके जीवन परिचय को लिपिबद्ध किया है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने झलकारी की बहादुरी को निम्न प्रकार पंक्तिबद्ध किया है –जा कर रण में ललकारी थी, वह तो झाँसी की झलकारी थी।गोरों से लड़ना सिखा गई, है इतिहास में झलक रही, वह भारत की ही नारी थी।

दोस्तों, झलकारी बाई के योगदान को विस्तार देने के लिए कृप्या इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ।

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List of Important Days – National and International

Following is the month-wise list of Important Days National and International: –

Important Days in January

  • January 1 – Global Family Day
  • January 10 – World Hindi Day
  • January 12 – National Youth Day
  • January 26 – Republic Day of India

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Important Days in February

  • February 4 – World Cancer Day
  • February 28 – National Science Day

Important Days in March

  • March 21 – World Forestry Day
  • March 22 – World Water Day
  • March 23 – World Meteorological Day

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Important Days in April

  • April 7 – World Health Day
  • April 18 – World Heritage Day
  • April 22 – Earth Day

Important Days in May

  • May 1 – Labour Day
  • May 31 – Anti Tobacco Day

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Important Days in June

  • June 1 – World Milk Day
  • June 5 – World Environment Day

Important Days in July

  • July 11 – World Population Day
  • July 29 – International Tiger Day

Also Read: CTET Questions on Growth and Development

Important Days in August

  • August 15 – Independence Day
  • August 29 – National Sport Day

Important Days in September

  • September 5 – Teacher’s Day
  • September 14 – Hindi Diwas
  • September 16 – World Ozone Day
  • September 27 – World Tourism Day
  • September 28 – Green Consumer Day

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Important Days in October

  • October 2 – Gandhi Jayanti
  • October (First Monday) – World Habitat Day
  • October 1-7 – World Wildlife Week
  • October 4 – World Animal Welfare Day
  • October 13 – International Day for Natural Disaster Reduction

Important Days in November

  • November 14 – Children’s Day in India
  • November 20 – Universal Children Day

Also Read: Learning Disabilities – for CTET and other TET Exams

Important Days in December

  • December 1 – World AIDS Day
  • December 2 – Bhopal Tragedy Day
  • December 23 – Farmer’s Day

Also Read: भारत में नदियों के किनारे बसे शहर/ Nadiyon ke Kinare base Sahar

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भारत के राष्ट्रीय प्रतीक National Symbols of India in Hindi

भारत के राष्ट्रीय प्रतीक निम्नलिखित हैं –

भारत का राष्ट्रीय ध्वज

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है

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भारत का राज चिन्ह

भारत का राज चिन्ह सम्राट अशोक द्वारा सारनाथ में स्थापित सिंह स्तंभ है । इसे अशोक की लाट भी कहते हैं ।

भारत की बोले जाने वाली 22 भाषाएँ Bharat ki Boliyan in Hindi

भारत का राष्ट्रीय खेल

भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है ।

भारत का राष्ट्रीय पंचांग (केलेण्डर)

भारत का राष्ट्रीय पंचांग शक संवत पर आधारित है।

भारत का राष्ट्रगान

भारत का राष्ट्रीय गान गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित ‘जन-गण-मन’ है।

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भारत का राष्ट्रीय गीत

भारत का राष्ट्रीय गीत बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा लिखित वन्देमातरम है।

भारत का राष्ट्रीय पशु

भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ है।

भारत का राष्ट्रीय जलजीव

18 मई 2010 को डॉल्फ़िन को भारत का राष्ट्रीय जलजीव घोषित किया गया था।

भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु

भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु हाथी है। इसे अक्टूबर 2010 को राष्ट्रीय विरासत पशु घोषित किया गया था।

Read भारत में नदियों के किनारे बसे शहर/ Nadiyon ke Kinare base Sahar

भारत का राष्ट्रीय पक्षी

भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है।

भारत का राष्ट्रीय वृक्ष

भारत का राष्ट्रीय वृक्ष वट (बरगद) है।

भारत का राष्ट्रीय पुष्प

भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल है।

भारत की राष्ट्रीय नदी

गंगा नदी को 4 नवम्बर 2008 को बारात की राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया था।

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